एक बार मगध के महामंत्री चाणक्य राजकाज संबंधी परामर्श के लिए सम्राट चंद्रगुप्त से मिलने जा रहे थे।रास्ते में उनके पांव में कांटा चुभ गयाऔर उनके मुंह से जोर से चीख निकल गई।उन्होने झुककर उस कंटीले पौधे को देखा ,फिर कुल्हाडी मंगवाई और अपने हाथेों से इस पौधे को उखाड कर फोंक दिया।उखाड कर फेंकने के बाद उन्होने उस पौधे की जड़ों को भी जमीन से निकाला औऱ उन्हें जला दिया । इसके बाद उन्होंने अपने शिष्यों छाछ मंगा कर उसे उसकी जड़ो में डाल दिया ।यह देखकर एक शिष्य ने जिज्ञासावश उनसे पूछा"गुरूजी आपने मात्र एक कंटीले पौधे को निकालने के लिए इतनी मेहनत क्यों की?" यदि आप आदेश देते तो हम तुरंत ही यह काम कर देते ।शिष्य की बात को सुनकर चाणक्य बोले....मैने यह काम इसलिए किया क्योंकि मैं बुराई को जड़ से मिटा देना चाहता था....।जब तक तुम बुराई को ज़ड से नहीं मिटा सकते तब तक बह पूरी तरह से खत्म नहीं होती है।गाहे बगाहे अपनी चपेट में किसी न किसी को ले लेती है।इसलिए केवल बुराई को दूर करने की नहीं,बल्कि उसकी जड को भी काटने की आवश्यकता है ताकि वह फिर कभी पनप नहीं सके।यदि तुमने बुराई की जड़ को काट दोगे तो फिर तुम्हारा जीवन अपने आप सहज व शांति पूर्ण हो जायेगा
सबक
दोस्तों बुराई को खत्म करने से कुछ नहीं होगा दरअसल हमें बुराई के कारण को ही नष्ट करना होगा।वरना समय समय पर उसके बुरे परिणाम सामने आते रहेगें.
welcome
ReplyDeleteइस नए और सुंदर से हिंदी चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteGood lesson keshav ji.Waise anyatha na le to bataiye aacharya kyon lagaya hai?aap dharmguruon key parivar se hai kya?
ReplyDeleteswagat ,
dr.bhoopendra
jeevansandarbh.blogspot.com
very nice
ReplyDeleteब्लाग जगत में आपका स्वागत है।
ReplyDeleteआशा है कि आप अपने लेखन से ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपके ब्लाग की स्वागत चर्चा पर जाने के लिए यहां क्लिक करें।
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
achha likha hai aapne. keep it up
ReplyDeletewww.mydunali.blogspot.com
This is a good parable!If only the life could be as simple! This was just a cactus thorn; the evil, devil or demon of humanity is much more difficult to remove!
ReplyDeleteआज जरूरत भी इसी बात की है। अच्छा लिखा है।
ReplyDelete